दुल्हन का हत्यारा - भाग -1 ravindra thawait द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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दुल्हन का हत्यारा - भाग -1

सिर कटी दुल्हन
केशलपुर थाना इंचार्ज विजय प्रताप,एक फाइल में उलझे हुए थे। उसके माथे की शिकन बता रही थी कि वह बेहद परेशान है। वह फाइल का पन्ना पलट पलट कर देखते हुए लगातार माथा खुजला रहा था। इसी समय सामने मेज में रखी हुई टैलीफोन की घंटी ने उसका ध्यान भंग किया। इंस्पेक्टर ने टेलीफोन को घूरते हुए,हाथ आगे बढ़ा कर रिसिवर उठाया और माउथपीस को मुंह के समीप लाते हुए कहा हैला,केशलापुर थाना से प्रभारी विजय प्रताप सिंह। इतना सुनते ही दूसरी ओर से एक हड़बड़ाई हुई आवाज विजय को सुनाई दी - साहब,यहां केशला घाट में एक महिला की सिर कटी हुई लाश पड़ी हुई है। आप जल्दी से आ जाईये। दूसरी ओर की बात सुनते ही,विजय के माथे पर पसीने की बूंदें दिखाई देने लगी। वह बड़बड़ाने लगा - क्या मुसीबत है,अभी तीन हत्या की गुत्थी सुलझी नहीं और यह चौथी लाश। अब तो तेजी खैर नहीं विजय प्रताप,लाइन अटैच होने के लिए तैयार हो जा। कहते हुए,उसने जेब से मोबाइल निकाला और इलाके के एसएसपी अजित मेमन का नबंर डायल करने लगा। चंद ही मिनटों में केशल घाट पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। एसएसपी मेमन,पूरे दल बल के साथ घाटी आ पहुंचे थे। यहां एक विशाल आम पेड के नीचे एक सिर कटी हुई लाश पड़ी हुई थी। लाश एक युवती की लग रही थी। शरीर पर दुल्हन से कपड़े नजर आ रहे थे। एसएसपी मेमन ने शव का सिर तलाशने का निर्देश दिया। थोडी सी मेहनत के बाद,शरीर से कुछ ही दूर एक पेड़ पर कटा हुआ सिर टंगा हुआ मिल गया। यशपुर,घने वन और उंची पहाड़ियों से घिरा एक प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ प्रदेश। इस प्रदेश का सबसे सुंदर पहाड़ी केशला घाट,इन दिनों आतंक का पर्याय बना हुआ था। साल,सगौन और चंदन जैसी कीमती पेड़ों से आच्छादित इस वन में कई दुर्लभ औषधियां भी मिलती है। इन सबसे अलग,इस पहाड़ी की चोटी में स्थित भैरव मंदिर पहुंच कर,भैरव बाबा का आशिर्वाद प्राप्त करना हर श्रद्वालु का इच्छा होती है। लेकिन बीते एक माह के दौरान एक के बाद एक मिल रही सिर कटी लाश ने इस श्रद्वालुओं की आस्था और सैलानियों के स्वर्ग को आतंक का गढ़ बना कर रख दिया था। पुलिस प्रशासन ने शाम 6 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक केशला घाट वाली रोड को बंद कर दिया था। बेरियर लगा कर,पुलिस जवानों को तैनात कर दिया गया था। पेट्रोलिंग भी बढ़ा दी गई थी। लेकिन हत्यारा अब भी पकड़ से सैकड़ों कोस दूर था। सुराग के नाम पर पुलिस के हाथ पूरी तरह से खाली थे। एसएसपी अजित मेमन से लेकर सभी निम्मेदार पुलिस अधिकारी पर इस केस को सुलझाने का दबाव था। लेकिन,लाख हाथ पैर मारने के बाद भी हत्यारे का एक सुराग हाथ नहीं आ रहा था। मंत्री से लेकर डीजीपी तक,एसएसपी को फोन पर फोन कर रहे थे। केस की प्रगति रिपोर्ट मांगी जा रही थी। अचानक,एसएसपी के जेहन में कुछ कौंधा,उसने मेज में रखी हुई मोबाइल उठाया और कांटेक्ट लिस्ट में नाम खोजने लगा। अचानक स्क्रीन में एक नाम देख कर उसका चेहरा चमकने लगा। उसने नम्बर डायल कर मोबाइल को चेहरे से लगाते हुए कहा - हैलो......